भारत के टॉप न्यूट्रिशन संस्थान ने मिट्टी के बर्तनों को खाना पकाने के लिए सर्वश्रेष्ठ बताया, नॉन-स्टिक को हानिकारक करार दिया
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN) ने भारतीयों के लिए डायट्री गाइडलाइन्स जारी की हैं, जिसमें लोगों को खाना पकाने के लिए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करने की सलाह दी गई है। संस्थान का दावा है कि मिट्टी के बर्तन नॉन-स्टिक बर्तनों की तुलना में अधिक सुरक्षित और स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं।
मिट्टी के बर्तनों के फायदे:
* पोषक तत्वों को बरकरार रखते हैं: मिट्टी के बर्तन भोजन में मौजूद पोषक तत्वों को बनाए रखने में मदद करते हैं।
* स्वाद को बनाए रखते हैं: इन बर्तनों में पकाया गया भोजन स्वादिष्ट और सुगंधित होता है।
* गर्मी का समान वितरण: मिट्टी गर्मी का समान वितरण करती है, जिससे भोजन अच्छी तरह से पकता है और जलता नहीं है।
* पर्यावरण के अनुकूल: मिट्टी के बर्तन पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और इन्हें आसानी से रीसायकल किया जा सकता है।
* नॉन-टॉक्सिक: इनमें किसी भी हानिकारक रसायन का उपयोग नहीं होता है।
नॉन-स्टिक बर्तनों के नुकसान:
* टेफ्लॉन कोटिंग: नॉन-स्टिक बर्तनों में टेफ्लॉन कोटिंग का उपयोग किया जाता है, जो अधिक गरम होने पर हानिकारक रसायन छोड़ सकता है।
* स्वास्थ्य संबंधी खतरे: इन रसायनों से फेफड़ों की समस्याएं, कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन के अनुसार, मिट्टी के बर्तन खाना पकाने का एक सुरक्षित और स्वस्थ तरीका है। यदि आप स्वस्थ और स्वादिष्ट भोजन बनाना चाहते हैं, तो मिट्टी के बर्तनों का उपयोग नॉन-स्टिक बर्तनों के बजाय करें।
ध्यान दें:
* मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करते समय, उन्हें धीमी आंच पर गर्म करें और धातु की चम्मच या अन्य बर्तनों से खरोंचने से बचें।
* टूटे हुए या दरार वाले मिट्टी के बर्तनों का उपयोग न करें।